फिल्म 'गंगूबाई' (आलिया भट्ट) के सेक्स वर्कर से सोशल वर्कर बनने तक के सफर को दिखाती है। इसमें मुंबई में हिरोइन बनने का सपना लेकर प्रेमी संग घर से भागी गंगा का कोठे की चांद गंगू बनना

एक क्रूर ग्राहक के जुल्म के खिलाफ इंसाफ के लिए डॉन रहीम लाला (अजय देवगन) से मदद मांगना और फिर उससे भाई-बहन का रिश्ता जोड़ना

भंसाली ने फिल्म के लिए पत्रकार हुसैन जैदी की किताब माफिया क्वीन ऑफ मुंबई में दर्ज गंगूबाई की कहानी को आधार बनाया है, जो कि हर मायने में एक लार्जर देन लाइफ किरदार है। 

शॉट भी वैसा ही लगता है कि सीक्वेंस में खड़े लोगों के बीच गरबा करती हिरोइन। शुरुआत में गंगू का दर्द भी उस तरह महसूस नहीं हो पाता। 

अपनी दुबली-पतली काया के बावजूद आलिया ने अपने एक्सप्रेशन, डील-डौल, बॉडी लैंग्वेज से माफिया क्वीन गंगूबाई के निडर एटिट्यूट को बखूबी उभारा है

इस किरदार के लिए उनसे बेहतर चुनाव शायद ही कोई होता। अपनी-अपनी भूमिकाओं में अजय देवगन, विजय राज, सीमा पाहवा, शांतनु माहेश्वरी, जिम सर्भ जैसे कलाकारों ने भी फिल्म को मजबूती दी है।

सुब्रत चक्रवर्ती, अमित रे के प्रॉडक्शन डिजाइन और सुदीप चटर्जी की सिनेमटोग्राफी का फिल्म को खूबसूरत बनाने में अहम योगदान है।

उनके कंपोज किए फिल्म के गाने अपने समय और कहानी के अनुरूप जरूर हैं, पर थिएटर से बाहर आने के बाद 'ढोलिड़ा'... के अलावा बाकी गाने याद नहीं रहते।